सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम ने बच्चों की सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए एक नया कदम उठाया है। इसकी मूल कंपनी मेटा प्लेटफॉर्म्स ने घोषणा की है कि इंस्टाग्राम अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके यह पता लगाएगा कि किशोर अपनी उम्र के बारे में सही जानकारी दे रहे हैं या नहीं। इसमें इस बात पर भी ध्यान दिया जाएगा कि किशोर इंस्टाग्राम पर किस प्रकार की सामग्री देख रहे हैं। यह कदम बच्चों और किशोरों के लिए ऑनलाइन अनुभव को सुरक्षित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मेटा ने कहा कि कंपनी पहले से ही लोगों की उम्र का अनुमान लगाने के लिए एआई का उपयोग कर रही है। लेकिन अब इंस्टाग्राम उन अकाउंट्स पर विशेष नजर रखेगा जिनके बारे में उसे संदेह है कि वे किशोरों के हैं, भले ही उन्होंने साइन-अप के समय गलत जन्मतिथि न दी हो। यदि AI यह पता लगाता है कि कोई उपयोगकर्ता अपनी उम्र छिपा रहा है, तो उसका खाता स्वचालित रूप से किशोर खाते में बदल जाएगा। किशोर खातों पर वयस्क खातों की तुलना में अधिक प्रतिबंध होते हैं।
किशोर खाते में सख्त नियम
किशोरों के खाते डिफ़ॉल्ट रूप से निजी रखे जाते हैं। इसमें किशोर केवल उन लोगों को निजी संदेश भेज सकते हैं जिन्हें वे फॉलो करते हैं या जिनसे वे पहले से जुड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त, संवेदनशील सामग्री जैसे कि झगड़े के वीडियो या कॉस्मेटिक प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने वाली पोस्ट को भी सीमित कर दिया जाएगा। मेट्टा ने यह भी कहा कि यदि कोई किशोर इंस्टाग्राम पर 60 मिनट से अधिक समय तक सक्रिय रहता है, तो उसे एक सूचना मिलेगी। इसके अलावा, रात 10 बजे से सुबह 7 बजे तक ‘स्लीप मोड’ चालू रहेगा, जहां नोटिफिकेशन बंद रहेंगे और सीधे संदेशों का स्वतः उत्तर दिया जाएगा।
एआई कैसे काम करेगा?
मेटा के अनुसार, एआई उपयोगकर्ताओं की गतिविधियों को देखकर उनकी उम्र का अनुमान लगाएगा। यह जांच करेगा कि खाता कब बनाया गया, उपयोगकर्ता किस प्रकार की सामग्री देखता या पसंद करता है तथा प्रोफ़ाइल में क्या जानकारी दी गई है। मेटा का कहना है कि यह तकनीक बच्चों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। इसके साथ ही कंपनी अभिभावकों को एक नोटिफिकेशन भेजकर उन्हें अपने बच्चों को सही उम्र बताने के महत्व के बारे में बात करने की सलाह देगी।
बढ़ती चिंताओं का जवाब
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया के प्रभाव को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। कई देश आयु सत्यापन के लिए नए कानून लाने का प्रयास कर रहे हैं, हालांकि उन्हें अदालती चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मेटा और अन्य कंपनियां चाहती हैं कि आयु सत्यापन की जिम्मेदारी ऐप स्टोर पर डाल दी जाए।