वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने वाली है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए ITR-1 से लेकर ITR-5 तक के फॉर्म नोटिफाई कर दिए हैं। अगर आपकी सालाना आय 50 लाख रुपये तक है, तो इन फॉर्म्स के ज़रिए आप रिटर्न फाइल कर सकते हैं। रिटर्न फाइल करते समय कुछ अहम इनकम टैक्स सेक्शन को समझना बेहद जरूरी होता है ताकि आप टैक्स डिडक्शन का पूरा लाभ उठा सकें और गैरज़रूरी टैक्स भुगतान से बच सकें।
यहां हम बात कर रहे हैं सेक्शन 80C, 80D, 24B और कुछ अन्य जरूरी प्रावधानों की, जो आपके टैक्स बचाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
🔹 सेक्शन 139(1) – रिटर्न फाइल करना अनिवार्य
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139(1) के तहत, अगर आपकी कुल आय टैक्स छूट सीमा से अधिक है, तो ITR फाइल करना अनिवार्य है। यह सेक्शन उन लोगों के लिए भी है जो वॉलेंटरी तौर पर रिटर्न फाइल करना चाहते हैं। समय पर ITR फाइल करने से न केवल टैक्स पेनल्टी से बचा जा सकता है, बल्कि भविष्य में लोन और वीज़ा जैसे मामलों में भी यह मददगार होता है।
🔹 सेक्शन 80C – टैक्स सेविंग का सबसे लोकप्रिय विकल्प
सेक्शन 80C के तहत आप अधिकतम ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं, लेकिन यह केवल ओल्ड टैक्स रिजीम में लागू होता है। इस सेक्शन के तहत आप इन निवेशों पर छूट का लाभ उठा सकते हैं:
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पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
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एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF)
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ELSS म्यूचुअल फंड
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टैक्स सेविंग FD
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ट्यूशन फीस
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लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम
ध्यान दें, न्यू टैक्स रिजीम में 80C का लाभ नहीं मिलता, लेकिन NPS में एम्प्लॉयर कंट्रीब्यूशन पर सेक्शन 80CCD(2) के तहत छूट मिलती है।
🔹 सेक्शन 24B – होम लोन पर ब्याज की छूट
अगर आपने होम लोन लिया है और उस पर ब्याज भर रहे हैं, तो आप सेक्शन 24B के तहत सालाना अधिकतम ₹2 लाख तक की टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं। खास बात यह है कि यह छूट ओल्ड और न्यू दोनों टैक्स रिजीम में मान्य है। यह प्रावधान उन लोगों के लिए खास फायदेमंद है जो घर खरीदने के लिए लोन पर निर्भर हैं।
🔹 सेक्शन 80D – हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स बेनिफिट
सेक्शन 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन का लाभ उठाया जा सकता है। डिडक्शन की सीमा इस प्रकार है:
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60 साल से कम उम्र वालों के लिए: ₹25,000
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60 साल से अधिक (सीनियर सिटीजन): ₹50,000
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परिवार और माता-पिता का प्रीमियम मिलाकर: अधिकतम ₹1 लाख तक की छूट
यह छूट आपको और आपके परिवार को स्वास्थ्य जोखिमों से भी सुरक्षित रखती है और टैक्स में राहत भी देती है।
🔹 सेक्शन 10(13A) – किराए के मकान में रहने पर HRA छूट
अगर आप नौकरी करते हैं और किराए के मकान में रहते हैं, तो सेक्शन 10(13A) के तहत आप हाउस रेंट अलाउंस (HRA) पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। अगर आपका सालाना किराया ₹1 लाख से ज्यादा है, तो मकान मालिक का PAN देना जरूरी है। यह छूट केवल उन्हीं कर्मचारियों को मिलती है जिन्हें वेतन में HRA शामिल होता है।
🔹 सेक्शन 234F – देर से ITR फाइल करने पर जुर्माना
अगर आप निर्धारित समय सीमा के बाद ITR फाइल करते हैं, तो सेक्शन 234F के तहत जुर्माना देना पड़ सकता है। जुर्माने की राशि इस प्रकार होती है:
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₹5 लाख से कम आय वालों पर: ₹1,000
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₹5 लाख से ज्यादा आय वालों पर: ₹5,000
इसके अलावा, आपको सेक्शन 234A और 234B के तहत ब्याज भी देना पड़ सकता है।
अन्य उपयोगी सेक्शन
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सेक्शन 80CCH: अग्निवीर कॉर्पस फंड में योगदान पर छूट
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सेक्शन 80JJAA: नए कर्मचारियों की नियुक्ति पर पात्र बिजनेस को डिडक्शन
🔚 निष्कर्ष
ITR फाइल करने से पहले यदि आप इन सेक्शन्स की जानकारी अच्छे से समझ लें, तो आप न केवल टैक्स सेविंग कर सकते हैं, बल्कि किसी भी पेनल्टी या गलती से भी बच सकते हैं। पुरानी और नई टैक्स रिजीम में कौन सा आपके लिए बेहतर है, यह तय करने से पहले इन डिडक्शन्स का मूल्यांकन जरूर करें।