इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025 को मनाई जा रही है। यह त्यौहार भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण की जन्मतिथि पर मनाया जाता है। कृष्ण जी का जन्म मथुरा में हुआ था, बचपन गोकुल और वृंदावन में बीता, जबकि राधा रानी बरसाना में रहती थीं। राधा रानी, कृष्ण जी की प्रिय हैं। जब भी कान्हा का नाम लिया जाता है, तो राधा रानी का नाम लेना अनिवार्य होता है। राधा और कृष्ण के प्रेम की गाथा सदियों से सुनी और सुनाई जाती रही है। आज के प्रेमी भी राधा और कृष्ण जैसा प्रेम चाहते हैं। भगवान कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी भारतीय संस्कृति में सच्चे प्रेम और समर्पण का सर्वोच्च उदाहरण है। राधा का प्रेम केवल रोमांटिक ही नहीं, बल्कि त्याग, निस्वार्थता और आध्यात्मिक जुड़ाव से भी भरा था। अगर आप जानना चाहते हैं कि क्या आपका साथी भी कृष्ण की राधा की तरह समर्पित है, तो इन संकेतों पर ध्यान दें।
आपके सुख-दुख में हमेशा आपके साथ
राधा रानी न केवल कृष्ण जी का बचपन का प्यार थीं, बल्कि उनके सुख-दुख की साथी भी थीं। जब भगवान कृष्ण मथुरा के कंस का वध करने जा रहे थे, तब राधा जी ने उन्हें नहीं रोका। जब कन्हैया ने गोकुल बरसाना छोड़ने का फैसला किया, तो राधा रानी ने उन्हें अपने कर्तव्य से विचलित नहीं होने दिया। सच्चा प्रेम सुख में ही नहीं, बल्कि कठिन समय में भी साथ देता है।
अपनी कमियों को स्वीकार करना
राधा ने कृष्ण को उनके सभी अच्छे-बुरे गुणों के साथ स्वीकार किया था। कहा जाता है कि राधा रानी गोरी और सुंदर थीं, जबकि कन्हैया सांवले रंग के थे। कन्हैया की शरारतें, उनके माखन चोरी के किस्से आदि सुनने और जानने के बाद भी राधा रानी कृष्ण से प्रेम करती थीं। मथुरा का राजा कंस कृष्ण को मारना चाहता था, फिर भी राधा कृष्ण के प्रेम से विचलित नहीं हुईं। अगर आपका साथी आपकी कमियों और समस्याओं के बावजूद आपको स्वीकार करता है, तो समझ लीजिए कि उसका प्रेम भी राधा जैसा ही है।
सपनों को पूरा करने में मदद
राधा ने हमेशा कृष्ण का साथ दिया। वह अच्छी तरह जानती थीं कि कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस का वध करने के लिए हुआ है और उन्हें राजा बनना ही है। राधा रानी ने हमेशा उनके सपनों और कर्तव्यों को पूरा करने में उनका साथ दिया। एक समर्पित साथी हमेशा आपके लक्ष्यों और महत्वाकांक्षाओं का साथ देता है।
विश्वास और निष्ठा में अटूट
राधा का प्रेम कभी डगमगाया नहीं, यही एक सच्चे रिश्ते की पहचान है। कृष्ण गोकुल-बरसाना की सभी गोपियों के साथ रास लीला करते थे। गोपियाँ और ग्वाले ही नहीं, बल्कि जानवर भी कृष्ण की बांसुरी की धुन में मग्न हो जाते थे। लेकिन राधा ने हमेशा कृष्ण पर भरोसा किया। भगवान कृष्ण की 1008 रानियाँ थीं। हालाँकि, राधा के विश्वास और निष्ठा के कारण ही उनका नाम हमेशा कृष्ण के साथ लिया जाता है।
निःशर्त प्रेम
सच्चे प्रेम में कोई शर्तें नहीं होतीं। ऐसा प्रेम जो किसी अपेक्षा पर आधारित नहीं, बल्कि केवल हृदय से होता है। राधा रानी भी कृष्ण से इसी तरह प्रेम करती थीं। इस प्रेम में साथ रहने, विवाह करने आदि जैसी कोई शर्तें नहीं थीं। उनके बीच केवल प्रेम था, जिसकी मिसाल सदियों तक दी जाएगी।