बिज़नेस न्यूज़ डेस्क –अपराधी चाहे कितना भी चालाक क्यों न हो, कोई न कोई सुराग जरूर छोड़ जाता है। यही सुराग पुलिस को उस तक पहुंचने में मदद करते हैं। हम बात कर रहे हैं शेयर घोटाले को अंजाम देने वाले केतन पारेख की। सेबी के उस तक पहुंचने की कहानी पुलिस के चोर तक पहुंचने की कहानी से कहीं ज्यादा दिलचस्प है। शेयर घोटाले को अंजाम देने में पारेख ने काफी चालाकी बरती। लेकिन, वह सेबी के चंगुल से बच नहीं सका। सेबी ने फ्रंट रनिंग शेयर घोटाले का पर्दाफाश किया है, जिसका मास्टरमाइंड केतन पारेख था।
सेबी ने 2 जनवरी को दिया था अंतरिम आदेश
सेबी के पूर्णकालिक निदेशक कमलेश वार्ष्णेय ने 2 जनवरी को इस घोटाले में अंतरिम आदेश पारित किया। इस आदेश में शामिल बातें किसी जासूसी उपन्यास का अहसास कराती हैं। सेबी ने बताया है कि कैसे पारेख पर शिकंजा कसा गया और कैसे बाजार नियामक ने उस तक पहुंचने की योजना बनाई। कैसे सबूत जुटाए गए कि कई मोबाइल नंबर केतन पारेख से जुड़े थे, जिनका इस्तेमाल उसने फ्रंट रनिंग घोटाले को अंजाम देने में किया।
कई जगहों पर की गई छापेमारी में मोबाइल हैंडसेट मिले
सेबी को फ्रंट-रनिंग घोटाले से जुड़ी तलाशी और जब्ती कार्रवाई में कई मोबाइल मिले थे। इन मोबाइल नंबरों की जांच उनमें लगे सिम कार्ड के आधार पर की गई। पता चला कि इन मोबाइल में कई नंबर ऐसे थे जो जैक, जॉन, भाई और व्हिसलब्लोअर जैसे फर्जी नामों से सेव किए गए थे। सेबी के सामने इन नंबरों और केतन पारेख के बीच कनेक्शन स्थापित करने की चुनौती थी। सबसे पहले इन फोन नंबरों को फोन के IMEI नंबर के जरिए ट्रैक किया गया।
कुछ हैंडसेट का इस्तेमाल अलग-अलग सिम नंबर के लिए किया गया
पारेख पकड़े जाने से बचने के लिए बार-बार सिम कार्ड बदलता था। लेकिन, वह बार-बार हैंडसेट नहीं बदलता था। यह उसकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई। सेबी की जांच में पाया गया कि खास IMEI नंबर वाले हैंडसेट का इस्तेमाल फ्रंट-रनिंग को बार-बार निर्देश देने के लिए किया जा रहा था। उदाहरण के लिए, पारेख ने एक मोबाइल नंबर जमा किया था जिसके आखिरी चार अंक 8243 थे। यह नंबर असल में उसकी पत्नी का था, लेकिन वह इसका इस्तेमाल करता था। इस नंबर के लिए इस्तेमाल किए गए हैंडसेट का इस्तेमाल उसी IMEI नंबर वाले दूसरे नंबर के लिए भी किया गया था, जिसके आखिरी चार अंक 9917 थे।
पारेख द्वारा जमा किए गए हैंडसेट का इस्तेमाल दूसरे सिम के लिए भी किया गया
पारेख ने सेबी को दिए अपने बयान में कहा था कि आखिरी चार अंक 2996 वाला मोबाइल नंबर उनका है। उनके पार्टनर रोहित सालगांवकर ने भी पुष्टि की कि यह नंबर पारेख का है। हालांकि, जांच में पाया गया कि इसी IMEI नंबर वाले इस नंबर के लिए इस्तेमाल किए गए हैंडसेट का इस्तेमाल दूसरे नंबर के लिए भी किया गया था, जिसके आखिरी चार अंक 1068 थे। इसके बाद सेबी ने ऐसे सभी नंबरों की कॉल रिकॉर्ड डिटेल्स हासिल की। इससे पता चला कि रात 9 बजे से सुबह 6 बजे के बीच इन नंबरों का इस्तेमाल किन जगहों से कॉल करने के लिए किया गया।
खास नंबरों से की गई कॉल की लोकेशन का मिलान पारेख की ट्रैवल हिस्ट्री से किया गया
सेबी की जांच में यह साफ हो गया कि ज्यादातर बार इन नंबरों का इस्तेमाल केतन के घर के पते से कॉल करने के लिए किया गया। इसके बाद सेबी ने इन नंबरों के इस्तेमाल की लोकेशन का मिलान पारेख की ट्रैवल हिस्ट्री से किया। पाया गया कि इन नंबरों का इस्तेमाल उन होटलों से कॉल करने के लिए किया गया था, जहां केतन पारेख अलग-अलग समय पर रुके थे। फिर सेबी ने होटल के कर्मचारियों से पूछताछ की। इससे यह स्पष्ट हो गया कि जिन तारीखों को कॉल करने के लिए उन नंबरों का इस्तेमाल किया गया था, उन तारीखों पर पारेख उन होटलों में रुके थे। यह सबूत पारेख को घोटाले का दोषी साबित करने के लिए काफी था।