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LIC पर सरकार का बड़ा कदम! जल्द बेच सकती है बड़ी हिस्सेदारी, जानिए निवेशकों पर क्या होगा असर

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केंद्र सरकार एक बार फिर देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, विनिवेश के पहले चरण में भारतीय जीवन बीमा निगम 3% हिस्सेदारी बेच सकता है। बताया जा रहा है कि मोतीलाल ओसवाल और IDBI कैपिटल इस ऑफर फॉर सेल के लिए बैंकर की भूमिका निभा सकते हैं।

2.5 से 3% हिस्सेदारी बेचने की तैयारी

बिजनेस टुडे में प्रकाशित एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि केंद्र सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में अपने नियोजित विनिवेश को बढ़ावा देने के लिए अगले दो हफ़्तों में एक रोड शो शुरू करने की तैयारी कर रही है। पहले चरण में, केंद्र LIC में अपनी 2.5% से 3% तक हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रहा है। हालाँकि, सरकार द्वारा बेची जाने वाली हिस्सेदारी और OFS की कीमत के बारे में स्पष्ट आंकड़ा रोड शो पूरा होने के बाद तय होने की उम्मीद है। यह है सरकार का विनिवेश लक्ष्य

वर्तमान में, सरकार के पास एलआईसी में 96.5% हिस्सेदारी है और बाजार नियामक सेबी ने बीमा कंपनी को 16 मई, 2027 तक अपनी सार्वजनिक हिस्सेदारी 3.5% से बढ़ाकर 10% करने का निर्देश दिया है। वहीं, अगर वित्त वर्ष 26 के लिए केंद्र के व्यापक विनिवेश लक्ष्य की बात करें, तो यह 47,000 करोड़ रुपये है और एलआईसी की हिस्सेदारी की बिक्री इस लक्ष्य में एक अहम कदम हो सकती है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सरकार विनिवेश के इस पहले चरण से 14,000-17,000 करोड़ रुपये जुटा सकती है।

गिरावट के साथ बंद हुआ बाजार

सप्ताह के तीसरे कारोबारी दिन शेयर बाजार में तेजी के बावजूद, एलआईसी का शेयर भारी गिरावट के साथ बंद हुआ। एलआईसी का शेयर शुरुआती कारोबार में 916 रुपये पर खुला और फिर 920 रुपये तक उछला, लेकिन इसके बाद शेयर में तेज गिरावट बाजार बंद होने तक जारी रही और यह बीमा शेयर 3.24 प्रतिशत की गिरावट के साथ 886.85 रुपये पर बंद हुआ। शेयर में गिरावट के बीच कंपनी का मार्केट कैप (LIC Market Cap) घटकर 5.59 लाख करोड़ रुपये रह गया।

आईपीओ के जरिए बेची गई थी इतनी हिस्सेदारी

इससे पहले भी सरकार एलआईसी में अपनी हिस्सेदारी बेच चुकी है। साल 2022 के मई महीने में सरकार ने एलआईसी में अपनी कुल इक्विटी का 2.5 प्रतिशत हिस्सा बेच दिया और यह एलआईसी आईपीओ 4 मई, 2022 को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलने के बाद 9 मई को बंद हुआ। इस आईपीओ को लगभग तीन गुना सब्सक्रिप्शन मिला और इसके जरिए सरकार को 20,557 करोड़ रुपये मिले।

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