भगवान शिव को संहारक माना जाता है और इस कारण उनमें कई विनाशकारी और रहस्यमय शक्तियां हैं। उनमें से एक शक्ति है कालाग्नि, जिसे रुद्राग्नि के नाम से भी जाना जाता है। यह ज्वाला भगवान शिव के मुख से प्रकट हुई है। रुद्राभिषेक पूजा के दौरान भगवान शिव की पूजा करते समय कालाग्नि का ध्यान और स्तुति की जाती है। इससे भक्तों को भगवान शिव की कृपा और सुरक्षा प्राप्त होती है। बहुत कम लोग भगवान शिव की इस शक्ति के बारे में जानते हैं कि इसकी उत्पत्ति कैसे हुई और इसका आध्यात्मिक महत्व क्या है। तो आइये जानते हैं…
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शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए अपने मुख से कालाग्नि उत्पन्न की थी। यह ज्वाला इतनी भयंकर और शक्तिशाली थी कि इसने त्रिपुरासुर को मार डाला। शिव पुराण के अनुसार, तीन असुरों ने अपनी शक्ति और छल से तीन अभेद्य नगर (त्रिपुरा) बनाए। ये राक्षस धर्म और मानवता के विनाश में लगे हुए थे। देवताओं और ऋषियों ने भगवान शिव से त्रिपुरासुर का अंत करने की प्रार्थना की। शिव ने अपनी तीसरी आँख से एक भयंकर ज्वाला उत्पन्न की, जिसने त्रिपुर को नष्ट कर दिया। एक अन्य कथा के अनुसार, जब कामदेव ने शिव की तपस्या भंग करने का प्रयास किया तो शिव के क्रोध के कारण उनके मुख से एक भयंकर ज्वाला प्रकट हुई जिसने कामदेव को भस्म कर दिया। कालाग्नि का वर्णन महाभारत में भी मिलता है। भगवान शिव ने अर्जुन को कालाग्नि के दर्शन कराये तथा उसकी शक्ति और महत्व के बारे में बताया।
कालाग्नि या रुद्राग्नि का महत्व
भगवान शिव की यह ज्वाला विनाश और सृजन का प्रतीक है। भगवान शिव को ब्रह्मांड के संहारक और निर्माता दोनों रूपों में देखा जाता है और कालाग्नि इन दोनों शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती है। यह ज्वाला शिव के मुख से तब प्रकट हुई जब सृष्टि में अधर्म, पाप और अज्ञान अत्यधिक फैल गया था। यह घटना शिव की विनाशकारी शक्ति से जुड़ी है, जो संतुलन बनाए रखने के लिए सृष्टि का विनाश कर देते हैं। भगवान शिव के मुख से निकलने वाली ज्वाला को सृष्टि के अंत (प्रलय) का प्रतीक माना जाता है। इन्हें कालाग्नि रुद्र भी कहा जाता है, जो प्रलय के समय सृष्टि का अंत करते हैं।
यह ज्वाला अत्यंत भयंकर, विनाशकारी एवं दैवीय ऊर्जा से परिपूर्ण मानी जाती है। इसे शिव की तीसरी आँख से निकलने वाली अग्नि के रूप में भी देखा जाता है, जो बुराई को भस्म कर देती है। रुद्राग्नि वह शक्ति है जो अधर्म, अज्ञानता और नकारात्मकता का नाश करती है। यह ज्वाला उन सभी नकारात्मक तत्वों को समाप्त कर देती है जो धर्म और सत्य के मार्ग में बाधा बनते हैं। कालाग्नि आध्यात्मिक जागृति और ज्ञान का प्रतीक है। इसका ध्यान और अभ्यास करने से साधक को आत्मा की शुद्धि और उच्च आध्यात्मिक स्तर की प्राप्ति होती है।