रिपोर्ट में कहा गया है कि जब से फॉक्सकॉन का प्रोजेक्ट बेंगलुरु के बाहरी इलाके देवनहल्ली में लगा है, तब से शहर का तेजी से विकास हुआ है। इसके अलावा 300 एकड़ में बनी इस साइट की वजह से कई अन्य कंपनियां भी यहां आई हैं। अकेले फॉक्सकॉन ने यहां ढाई अरब डॉलर का निवेश किया है। रिपोर्ट में एक दिलचस्प तथ्य यह भी रखा गया है कि भारत में तेजी से बढ़ती आबादी की वजह से हर साल 1 करोड़ नए रोजगार सृजित करने की जरूरत है। भारत में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में पहले से ही जरूरत से कम नौकरियां हैं। ऐसे में भारत में कम वेतन और भत्ते पर लोग उपलब्ध हैं।
अमेरिका में ऐसा नहीं है। यही वजह है कि कंपनी अमेरिका की बजाय भारत में ही आईफोन बनाना चाहेगी। फॉक्सकॉन भारत में एप्पल के लिए आईफोन असेंबल करने का काम कर रही है और पूरी दुनिया में यह जिम्मेदारी उसी की है। दरअसल, कोरोना काल से पहले आईफोन का बड़े पैमाने पर निर्माण चीन में होता था। फिर कोरोना आया और सप्लाई चेन प्रभावित हुई और एप्पल ने किसी एक देश पर निर्भरता न बनाए रखने के मकसद से भारत का रुख किया। काउंटरपॉइंट रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल की शुरुआत तक दुनियाभर में बिकने वाले आईफोन में से 18 फीसदी भारत में बन रहे थे।
इतना ही नहीं, इस साल के अंत तक करीब 30 फीसदी आईफोन भारत में बनेंगे। तब तक देवनहल्ली में फॉक्सकॉन का प्लांट पूरी तरह चालू हो जाएगा, जिसका अभी एक हिस्सा ही चालू है। अभी यहां 8 हजार लोग काम करते हैं और जब कंपनी पूरी तरह तैयार हो जाएगी तो यह संख्या 40 हजार हो जाएगी। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि भारत में प्लांट के लिए अब जमीन मिलना आसान है और नौकरी के लिए लोग भी आसानी से मिल रहे हैं। इतना ही नहीं, फॉक्सकॉन के नजदीक कई ताइवानी, अमेरिकी और दक्षिण कोरियाई कंपनियों ने भी प्लांट लगाए हैं, जो उन्हें पार्ट्स बेचते हैं।
एक फैक्ट्री से कैसे बदल गई देवनहल्ली की तस्वीर
देवनहल्ली इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक कंपनी किसी इलाके की पूरी तस्वीर बदल सकती है। दो-तीन साल पहले तक यह इलाका पूरी तरह वीरान था। बाहरी लोग यहां आते ही नहीं थे, उल्टे स्थानीय लोगों को रोजगार के लिए बेंगलुरु समेत कई शहरों में जाना पड़ता था। अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। फॉक्सकॉन ने यहां आईफोन बनाने के लिए 300 एकड़ में प्लांट लगाया है। कुछ और कंपनियां जमीन खरीद रही हैं। इस घोषणा के बाद देश-दुनिया की नामी रियल एस्टेट और मल्टीनेशनल फर्म देवनहल्ली पहुंच गई हैं। हालात ऐसे हैं कि यहां जमीन के दाम 400 फीसदी से ज्यादा बढ़ गए हैं। अपार्टमेंट, विला और प्लॉट के 57 मेगा प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। 12 कंपनियां, कई अंतरराष्ट्रीय शिक्षण संस्थान, स्कूल और अस्पताल काम करना शुरू कर चुके हैं।