रावण सोने की लंका का राजा था। जब उसने माता सीता का अपहरण किया था, तो अपने धन, वैभव और ऐश्वर्य को दिखाने के लिए वो माता सीता को अपने सोने से बने राजमहल में रख सकता था लेकिन उसने इसके विपरीत माता सीता को एक वीरान बगीचा अशोक वाटिका में रखा। अशोक वाटिका में माता सीता को रखने का अर्थ था कि उन्हें अपनी निगरानी और पहुँच से रखना। लेकिन फिर भी रावण ने ऐसा किया, आखिर क्यों?
” style=”border: 0px; overflow: hidden”” title=”राजस्थान की अजीब प्रथा जहां रावण की होती है पूजा, रावण दहन पर मनाया जाता है शोक 12 Oct 2024 Dussehra” width=”988″>
कहते हैं कि माता सीता को अशोक वाटिका में रखने के पीछे न केवल रावण की मजबूरी थी बल्कि उसकी कुछ छिपी हुई मंशा भी थी। अशोक वाटिका लंका के एक एकांत क्षेत्र में स्थित थीऔर महिला राक्षसों द्वारा संरक्षित थी। भयावह राक्षसों के होने के कारण, रावण को ना तो माता सीता के सुरक्षा की चिंता थी और ना ही इस बात का डर कि वहाँ भगवान राम का कोई दूत घुसपैठ कर पायेगा। उसे यह भी लगता था कि माता सीता भयानक राक्षसियों को देखकर भय के माहौल में रहेंगी और शायद उससे परेशान होकर जल्द कोई फैसला ले ले। दूसरा कारण यह था कि कहा जाता है कि अशोक का पेड़ दु:ख को हरता है। रावण का लगता था कि इस पेड़ के नीचे रहकर देवी सीता, भगवान राम से बिछड़ने का दर्द धीरे-धीरे भूल जाएंगी।
रावण से जुड़ी एक श्राप की कहानीइसके अलावा, रावण से जुड़ी एक श्राप की कहानी भी है जिसके डर से वो माता सीता को अपने महल में ले जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। कथा के अनुसार, एक बार रावण ने अपनी पौत्रवधु और नलकुबेर की पत्नी रम्भा के साथ अपने महल में दुराचार किया था। इस बात का जब नलकुबेर को पता चला, तो उसने रावण को श्राप दे दिया था कि अगर उसने किसी पराई स्त्री को बिना उसकी स्वीकृति के जबरदस्ती अपने महल ले जाने का प्रयास किया या उससे जोर-जबरदस्ती की, तो वह तभी भस्म हो जाएगा। इसी बात से आशंकित होकर रावण ने माता सीता को अपने करीब नहीं रखा और अशोक वाटिका में रखना बेहतर समझा। हालांकि, उसे जितने भी छल करने थे, उसने वो अशोक वाटिका में भी किये।