रोजर बिन्नी क्रिकेट इतिहास के पहले ‘एंग्लो-इंडियन क्रिकेटर’ हैं। उनका जन्म 19 जुलाई 1955 को बैंगलोर में हुआ था। एक ऑलराउंडर के तौर पर रोजर बिन्नी ने टेस्ट और वनडे दोनों ही फॉर्मेट में अपनी काबिलियत साबित की है। लंबे कद के रोजर बिन्नी अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे। इसके साथ ही, उनमें दोनों छोर से गेंद को स्विंग कराने की भी क्षमता थी। उनकी फील्डिंग भी काबिले तारीफ थी।
1977-78 में केरल के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच में रोजर बिन्नी ने संजय देसाई के साथ पहले विकेट के लिए 451 रनों की अटूट साझेदारी की। इस दौरान उन्होंने 211 रन बनाए। इस पारी ने भारतीय क्रिकेट में रोजर बिन्नी की पहचान बनाई। 1979 में रोजर बिन्नी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका मिला।
सितंबर 1983 में, उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ नाबाद 83 रन बनाए और मदन लाल के साथ सातवें विकेट के लिए 155 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी की। उनकी इस पारी ने भारत को टेस्ट मैच में ऐतिहासिक जीत दिलाई।
1983 के एकदिवसीय विश्व कप में भारत की जीत में रोजर बिन्नी ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने आठ मैचों में 18.67 की औसत से 18 विकेट लिए थे। उस समय यह प्रतियोगिता का एक रिकॉर्ड था।
रोजर बिन्नी ने 27 टेस्ट मैचों की 38 पारियों में 47 विकेट लिए, जबकि 72 एकदिवसीय मैचों में उन्होंने 77 विकेट लिए। इसके अलावा, रोजर बिन्नी ने टेस्ट प्रारूप में पाँच अर्धशतकों की मदद से 830 रन बनाए, जबकि एकदिवसीय क्रिकेट में उन्होंने 629 रन बनाए।
रोजर बिन्नी अक्टूबर 1987 तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट खेलते रहे। कुछ साल बाद, उन्हें युवा खिलाड़ियों को तराशने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। एक कोच के रूप में, उन्हें 2000 में श्रीलंका में अंडर-19 विश्व कप जीतने का श्रेय दिया जाता है।
रोजर बिन्नी को 2007 में बंगाल का कोच बनाया गया और सितंबर 2012 में राष्ट्रीय चयनकर्ता नियुक्त किया गया। वर्ष 2022 में, रोजर बिन्नी को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) का अध्यक्ष चुना गया।
रोजर बिन्नी के नक्शेकदम पर चलते हुए, उनके बेटे स्टुअर्ट बिन्नी ने भी क्रिकेट को चुना और भारत के लिए छह टेस्ट, 14 वनडे और तीन टी20 मैच खेले।