रूस और यूक्रेन के बीच पिछले साढ़े तीन साल से चल रहा युद्ध जल्द ही समाप्त हो सकता है। इसके लिए वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ त्रिपक्षीय वार्ता की तैयारी कर रहे हैं। इसी क्रम में सोमवार को डोनाल्ड ट्रंप और ज़ेलेंस्की के बीच मुलाकात हुई। एक घंटे की इस मुलाकात को युद्ध रोकने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। ट्रंप की इस योजना को यूरोपीय नेताओं का भी समर्थन मिल रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने रूस और यूक्रेन के बीच वर्षों से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए यूक्रेन पर दबाव बढ़ा दिया है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अलास्का में मुलाकात की
ट्रंप ने यह भी कहा कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की युद्ध को ‘लगभग तुरंत’ समाप्त कर सकते हैं। ज़ेलेंस्की के व्हाइट हाउस पहुँचने से एक दिन पहले, ट्रंप ने ज़ेलेंस्की को चेतावनी दी थी कि किसी भी बातचीत में रूस के कब्जे वाले क्रीमिया की वापसी और यूक्रेन की नाटो की सदस्यता शामिल नहीं होगी। कुछ दिन पहले, ट्रंप ने अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात की थी। हालाँकि, इस मुलाकात के दौरान कोई खास बातचीत नहीं हुई।
विश्व बाजार पर पड़ेगा असर: अगर ट्रंप और यूरोपीय देशों की कोशिशें रंग लाती हैं और दोनों देशों के बीच युद्ध रुक जाता है, तो भविष्य में दुनिया भर के बाज़ारों पर इसका क्या असर होगा? 2022 से जारी यह युद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। आइए जानते हैं कि भविष्य में युद्ध रुकने का क्या असर होगा?
ऊर्जा बाज़ारों पर प्रभाव: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने पर यूरोप में गैस और तेल की कीमतों में तेज़ी से वृद्धि हुई थी। अब जबकि युद्ध रुकने की उम्मीद है, रूस से तेल और गैस की आपूर्ति सामान्य होने से ऊर्जा बाज़ार में कीमतों में गिरावट आ सकती है। युद्ध रुकने से यूरोप की ऊर्जा लागत कम होने का भी फ़ायदा होगा, जिससे उद्योग जगत को फ़ायदा होगा। अगर भारत पर पड़ने वाले असर की बात करें, तो भारत को रूस से सस्ता तेल मिल रहा है। अगर युद्ध रुककर अमेरिकी टैरिफ़ हटा दिए जाते हैं, तो भारत को ज़्यादा फ़ायदा होगा। लेकिन अगर रूस तेल की कीमतें बढ़ाता है, तो भारत में एक बार फिर मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
खाद्य बाज़ार और कृषि: रूस और यूक्रेन दुनिया भर में गेहूँ और मक्का के प्रमुख निर्यातक हैं। युद्ध के कारण दुनिया भर में इनकी आपूर्ति प्रभावित हुई, जिससे खाद्य उत्पादों की कीमतें बढ़ गईं। युद्ध रुकने पर खाने-पीने की चीज़ों की कीमतों में कमी आ सकती है। अगर यूक्रेन गेहूँ की आपूर्ति सामान्य रूप से करता है, तो इसका असर दुनिया भर में इसकी कीमतों पर पड़ेगा। भारत जैसे आयातक देशों को भी इसका फ़ायदा होगा। यूक्रेन में हालात सामान्य होने से वैश्विक आपूर्ति बढ़ेगी, जिससे गेहूँ और मक्के की कीमतों में कमी आ सकती है।
मुद्रास्फीति में गिरावट और आर्थिक स्थिरता: पिछले साढ़े तीन सालों से दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति तेज़ी से बढ़ी है। अगर युद्ध रुकता है तो विभिन्न चीज़ों की आपूर्ति में रुकावटें कम होंगी। इसका असर दुनिया भर के देशों में मुद्रास्फीति में कमी के रूप में देखने को मिलेगा। आईएमएफ के अनुसार, रूस में मुद्रास्फीति बढ़कर 9.5% और यूक्रेन में 12% हो गई है। अगर युद्ध रुकता है, तो दोनों देशों के बीच और वैश्विक स्तर पर आर्थिक स्थिरता बढ़ सकती है।
शेयर बाज़ार में विश्वास बढ़ेगा: युद्ध रुकने की संभावना को देखते हुए वैश्विक शेयर बाज़ार में तेज़ी देखी गई है। अमेरिकी और यूरोपीय शेयर वायदा बाज़ारों में तेज़ी देखी गई। दूसरी ओर, भारतीय शेयर बाजार में आज सेंसेक्स और निफ्टी दोनों हरे निशान में बंद हुए। भू-राजनीतिक तनाव में कमी का असर भारत के अलावा अन्य देशों के बाजारों पर भी देखने को मिलेगा। इसके अलावा, युद्ध थमने से रिकॉर्ड स्तर पर चल रहे सोने-चांदी की कीमतों में स्थिरता आ सकती है।
भारत पर क्या होगा असर?
भारत इस समय अपना अधिकांश तेल रूस से आयात करता है। रूस से तेल आयात से नाराज़ ट्रंप ने भारतीय आयात पर टैरिफ बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का ऐलान किया है। रूस से सस्ता तेल आयात करने वाले भारत को युद्ध थमने से फायदा हो सकता है। दरअसल, कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ने से कीमतों में और कमी आ सकती है। वहीं, अगर अमेरिका रूस पर प्रतिबंध और सख्त करता है, तो भारत को रूसी तेल आयात पर अमेरिकी टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है।