भारतीय शेयर बाजार में डेरिवेटिव ट्रेडिंग करने वालों के लिए एक अहम खबर सामने आई है। सेबी ने साप्ताहिक एक्सपायरी डे को लेकर अपना अंतिम फैसला सुना दिया है। अब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की साप्ताहिक एक्सपायरी अलग-अलग दिन होगी।
एनएसई की साप्ताहिक एक्सपायरी अब हर मंगलवार को होगी
बीएसई की साप्ताहिक एक्सपायरी गुरुवार को तय की गई है
सेबी ने बाजार में अत्यधिक अटकलों और अस्थिरता को कम करने के उद्देश्य से यह फैसला लिया है। दरअसल, मार्च 2025 में सेबी ने इस विषय पर एक्सचेंजों से सुझाव मांगे थे और अब 15 जून तक प्राप्त आवेदनों के आधार पर यह नई व्यवस्था तय की गई है।
एनएसई ने क्या चुना?
सूत्रों के अनुसार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने मंगलवार को एक्सपायरी डे चुनने के लिए अपना आवेदन 15 जून तक SEBI को भेज दिया था।
निवेशकों पर असर
ट्रेडिंग रणनीतियों में बदलाव करना होगा
सप्ताह में सीमित दिन होने से लिक्विडिटी एक जगह पर केंद्रित होगी
अत्यधिक सट्टेबाजी पर लगाम लगेगी
बाजार में अस्थिरता कम होगी
कुल मिलाकर-इस कदम को बाजार को अधिक पारदर्शी और स्थिर बनाने की दिशा में SEBI की एक और महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
क्या है F&O एक्सपायरी
F&O का मतलब है फ्यूचर्स और ऑप्शंस- ये शेयर बाजार के डेरिवेटिव से जुड़े ट्रेडिंग टूल हैं। अब बात करते हैं कि एक्सपायरी का मतलब क्या होता है। जब आप कोई फ्यूचर्स या ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट (F&O कॉन्ट्रैक्ट) खरीदते हैं, तो उसकी एक तय समय सीमा होती है। उस सीमा के आखिरी दिन को “एक्सपायरी डे” कहा जाता है।उदाहरण के लिए-अगर आपने जून महीने के लिए F&O कॉन्ट्रैक्ट खरीदा है, तो उसकी एक्सपायरी आमतौर पर जून के आखिरी गुरुवार को होती है। उस दिन तक आपको या तो उस कॉन्ट्रैक्ट को बेचना होगा, या फिर वह अपने आप बंद हो जाएगा।
एक्सपायरी डे पर क्या होता है?
ट्रेडर्स अपने डील सेटल करते हैं।
ट्रेडिंग वॉल्यूम बहुत ज़्यादा होता है क्योंकि कई डील एक ही दिन एक्सपायर हो रही होती हैं।
स्टॉक और इंडेक्स में तेज़ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
ऑप्शन में ट्रेड करने वालों के लिए यह दिन बहुत अहम होता है क्योंकि यहीं पर मुनाफ़ा या नुकसान तय होता है।
F&O में कितने तरह की एक्सपायरी होती है?
वीकली एक्सपायरी (हर हफ़्ते)
यह इंडेक्स ऑप्शन (जैसे कि निफ्टी, बैंक निफ्टी) में होती है।
मंथली एक्सपायरी (हर महीने)
यह फ्यूचर्स और स्टॉक ऑप्शन में होती है।
क्वार्टरली एक्सपायरी (कुछ चुनिंदा कॉन्ट्रैक्ट में)
एक्सपायरी डे को लेकर निवेशकों को क्या ध्यान रखना चाहिए?
उस दिन मार्केट में उतार-चढ़ाव बहुत ज़्यादा हो सकता है। ज़्यादा अनुभव के बिना हैवी ट्रेडिंग करने से बचें। बिना रिसर्च के नहीं, रणनीति के साथ ट्रेड करें।F&O एक्सपायरी वह दिन होता है जब फ्यूचर्स और ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की वैधता समाप्त हो जाती है और उनका सेटलमेंट किया जाता है। यह दिन व्यापार की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील है।