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SIP या स्टेप-अप SIP आखिर कहां मिलेगा ज्यादा रिटर्न ? यहां जानिए दोनों के बीच क्या है अंतर और फायदे ?

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बिज़नेस न्यूज़ डेस्क – नौकरी शुरू करते ही अक्सर बचत करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान लोग आमतौर पर सुरक्षित निवेश विकल्पों जैसे बैंक या पोस्ट ऑफिस फिक्स्ड डिपॉजिट या सोना-चांदी जैसी चीजों में निवेश करने की सलाह देते हैं। हालांकि, फिलहाल इनका रिटर्न काफी मामूली है। सुरक्षा के लिए ऐसी योजनाओं में थोड़ी-बहुत रकम रखना समझदारी है, लेकिन अपनी बचत का एक हिस्सा व्यवस्थित तरीके से म्यूचुअल फंड में निवेश करना समय के साथ ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है।

एसआईपी क्या है?
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) निवेश का एक तरीका है। इसमें आप समय-समय पर, जैसे कि मासिक, तिमाही या छमाही आधार पर म्यूचुअल फंड में एक निश्चित रकम निवेश करते हैं। एसआईपी निवेशकों को एक छोटी रकम से शुरुआत करने और लंबी अवधि में धीरे-धीरे महत्वपूर्ण फंड जमा करने की सुविधा देता है। कुछ फंड में निवेश की शुरुआत महज 100 या 500 रुपये से भी कम की जा सकती है। इस दौरान निवेशक 1 से 5, 10 या 15 साल की निवेश अवधि चुन सकते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि रिटर्न बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है, यानी यह जोखिम के अधीन है।

स्टेप-अप एसआईपी क्या है?
स्टेप-अप एसआईपी का मतलब है कि आप हर साल अपनी एसआईपी राशि बढ़ाते हैं। जब आप एसआईपी शुरू करते हैं, तो आप एक प्रतिशत (जैसे, 10, 20 या 30 प्रतिशत) तय कर सकते हैं जिससे आप सालाना अपना योगदान बढ़ाना चाहते हैं। आप एक साल बाद अपने म्यूचुअल फंड निवेश को बढ़ाने का विकल्प भी चुन सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप वर्तमान में मासिक एसआईपी में 5,000 रुपये का निवेश कर रहे हैं, तो स्टेप-अप एसआईपी आपको उस राशि को सालाना 10-20% तक बढ़ाने की अनुमति देता है।

कैसे निवेश करें?
सही म्यूचुअल फंड चुनते समय सावधानी बरतना बहुत ज़रूरी है। इस बीच, पिछला प्रदर्शन, विशेष रूप से सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) का दीर्घकालिक रिटर्न, एक संकेतक हो सकता है, लेकिन याद रखें कि पिछला प्रदर्शन भविष्य के परिणामों की गारंटी नहीं देता है। एसआईपी रुपया-लागत औसत का लाभ प्रदान करते हैं और लंबी अवधि में जोखिम भी कम करते हैं। इसलिए, दो से तीन वर्षों में रिटर्न का अनुमान लगाना एक वर्ष की तुलना में बेहतर साबित हो सकता है।एसआईपी चुनते समय, आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम उठाने की क्षमता पर विचार करना चाहिए। इस बीच, अपने बजट के अनुसार मासिक SIP सेट करें। आप निवेश प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (ई-नच) या इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस (ईसीएस) मैंडेट भी सेट कर सकते हैं। यह आपके बैंक खाते से चुनी गई SIP राशि की कटौती को स्वचालित करता है।

SIP के लाभ
वित्तीय अनुशासन: SIP नियमित निवेश की आदत डालता है।
रुपये की लागत औसत: बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान भी निवेश सुरक्षित रहने की अधिक संभावना है।
कंपाउंडिंग का लाभ: लंबी अवधि में अच्छी रकम जमा की जा सकती है।
लचीलापन: SIP राशि को कभी भी समायोजित (बढ़ाया या घटाया) जा सकता है।
कर लाभ: SIP के माध्यम से ELSS फंड में निवेश करने पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत कर लाभ मिलता है।

SIP कितने प्रकार के होते हैं?
सामान्य SIP: सामान्य SIP में हर महीने एक निश्चित राशि निवेश की जाती है।
स्टेप-अप SIP: स्टेप-अप SIP में निवेश राशि को सालाना बढ़ाने का विकल्प मिलता है।
फ्लेक्स एसआईपी: फ्लेक्स एसआईपी हर महीने निवेश राशि बदलने की सुविधा प्रदान करता है।
प्रदर्शन-आधारित एसआईपी: प्रदर्शन-आधारित एसआईपी निवेशकों को फंड के प्रदर्शन के आधार पर योगदान समायोजित करने की अनुमति देता है।

एसआईपी निवेश करने का एक सुरक्षित और आसान तरीका है। स्टेप-अप एसआईपी निवेशकों को आय वृद्धि का लाभ उठाकर एक बड़ा फंड बनाने की अनुमति देता है। सही एसआईपी चुनने से व्यक्तियों को अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने और दीर्घकालिक लाभ प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

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