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Taarak Mehta Death anniversary भारतीय लेखक तारक मेहता के पुण्यतिथि पर जानें इनका जीवन परिचय

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तारक मेहता (अंग्रेज़ी: Taarak Mehta; जन्म- 26 दिसम्बर, 1929, अहमदाबाद, गुजरात; मृत्यु- 1 मार्च, 2017, अहमदाबाद) भारतीय लेखक थे। उन्होंने कई प्रकार के हास्य कहानी आदि का गुजराती में अनुवाद भी किया था। तारक मेहता का साप्ताहिक लेख पहली बार मार्च, 1971 में ‘चित्रलेखा’ नामक एक साप्ताहिक अखबार में आया था। तारक मेहता को 2015 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।[1]

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परिचय

तारक मेहता का जन्म 26 दिसम्बर, 1929, को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था। उन्होंने 1945 में मैट्रिक पास किया और मुंबई के भवन्स कॉलेज से 1958 में एम. ए. की डिग्री हासिल की। उन्होंने कई प्रकार के हास्य कहानी आदि का गुजराती में अनुवाद किया। इनकी पहली पत्नी का नाम इल्ला था। तारक मेहता की पहली पत्नी से एक बेटी है, जिनका नाम इशानी है।

तारक मेहता का उल्टा चश्मा

तारक मेहता मुख्यतः ‘दुनिया ने उंधा चश्मा’ नामक गुजराती भाषा में एक लेख लिखने के कारण जाने जाते हैं। 2008 में असित कुमार मोदी ने इस कहानी पर ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ धारावाहिक बनाया था। यह कहानी मुंबई के गोकुलधाम की है, जहाँ सभी लोग एक दूसरे के साथ खुशी से रहते है। जेठालाल चम्पकलाल गड़ा[2] एक व्यापारी है जो बहुत देर से उठते है और इन्हें जलेबी, फाफड़ा बहुत अच्छा लगता है। लेकिन सभी लोग इसे परेशान करते रहते हैं। इनके घर में टप्पू और दया और कभी कभी साला सुन्दर और दादा जी भी हैं। इसके अलावा कभी कभी जेठालाल को दुकान में भी परेशान होना पड़ता है।

इसकी पत्नी दया जेठालाल गड़ा[3] मुख्यतः कभी भी गरबा करने लगती है। टप्पू हमेशा शैतानी करनी की सोचता है और अपने शिक्षक आत्माराम भिड़े को सताता रहता है। कई बार टप्पू आत्माराम भिड़े के घर की खिड़की का काँच तोड़ चुका है। आत्माराम भिड़े बच्चों को पढ़ाते हैं और काफ़ी बचत करने के पीछे रहते हैं।पोपटलाल एक पत्रकार है, जो हमेशा अपने छाते के साथ ही रहते हैं और अपनी शादी के लिए चिंतित रहते हैं। इसके अलावा तारक मेहता जेठालाल के परम मित्र हैं और उन्हें हमेशा मुसीबतों से बचाते हैं।

हंसराज हाथी को हमेशा कुछ न कुछ खाना पसंद है। वह कभी खाने पर नियंत्रण नहीं कर पाते हैं। जिस कारण वह मोटे हो गये लेकिन मोटापे को कम करने के हर प्रयास पर उन्हें विफलता ही मिलती है।जेठालाल के दुकान में नट्टू काका और बाघा रहते हैं। नट्टू काका हमेशा जेठालाल को अपनी पगार बढ़ाने के लिए कहते हैं। बाघा हमेशा कार्य को खराब कर देता है। इसके अलावा वह बावरी के प्यार में बावरा भी हो जाता है। यह धारावाहिक सब टीवी में सबसे अधिक देखा जाने वाला कार्यक्रम है।

कार्यकाल

तारक मेहता 1958 में गुजराती नाट्य मंडल से जुड़े 1959-60 में वे दैनिक प्रजातंत्र में डिप्टी एडिटर थे। हालांकि उन्होंने लंबे समय तक अखबार में काम नहीं किया और कुछ समय बाद सूचना और प्रसारण विभाग से जुड़ गए थे। 1960 से 1986 तक तारक मेहता भारत सरकार के सूचना और प्रसारण विभाग में कंटेट राइटर रहे, बाद में वहीं पर अधिकारी बन गये।

साप्ताहिक लेख

तारक मेहता का साप्ताहिक लेख पहली बार मार्च, 1971 में ‘चित्रलेखा’ नामक एक साप्ताहिक अखबार में आया। 1971 में इन्होंने 80 पुस्तकों को प्रकाशित किया जिसमें 3 पुस्तक उनके ‘दिव्य भास्कर’ नामक अखबार में छापे जाने वाले लेख पर आधारित थे।

रचनाएँ

  • दुनिया ने उंधा चश्मा
  • आ दुनिया पंजरपोले
  • एक्शन रिप्लाइ ½
  • अल्बेलून अमेरिका वन्थेलून अमेरिका
  • चम्पकलाल तपौनी जुगालबंधी
  • बेताज बाटली बज पोपटलल तरज
  • तारक मेहता का उल्टा चश्मा

पुरस्कार

साहित्य मे महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारत सरकार ने तारक मेहता को 2015 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था।

निधन

तारक मेहता का निधन 1 मार्च, 2017 को हुआ था।

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